फिशर और फिस्टुला क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और आयुर्वेद में कैसे किया जाता है इलाज ?

Ayurvedic Treatment

फिशर और फिस्टुला क्या होता है, इसके मुख्य लक्षण, कारण और आयुर्वेद में कैसे किया जाता है इलाज ?

  • November 4, 2024

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आमतौर पर गुदा से जुड़ी समस्या को अक्सर लोग बवासीर या फिर पाइल्स से जुड़ी समस्या समझते है, लेकिन आपको बता दें कि और भी ऐसे कई रोग होते है, जो गुदा के स्वास्थ्य से जुड़े होते है | उन्ही में से है फिशर और फिस्टूला रोग |

 

फिशर एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें गुदा में किसी कारणवर्श दरार बनने लग जाते है या फिर किसी प्रकार का कट लग जाता है | फिशर होने के सबसे अधिक मामले बच्चों में पाए जाते है, लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है की फिशर वयस्कों को प्रभावित नहीं कर सकता | फिशर की समस्या तब उत्पन्न होती है, जब आप मल त्यागने के दौरान कठोर और बड़े आकार मल को त्यागने लग जाते है | फिशर में मल त्यागने के दौरान दर्द का अनुभव और मल के साथ खून भी आ सकता है | परन्तु कई लोग मल के साथ आये खून को देख काफी डर जाते है | फिशर कोई गंभीर समस्या नहीं है, उचित उपचार के ज़रिये इस समस्या को घर बैठे की ठीक किया जा सकता है | यदि 12 सप्ताह के बाद में फिशर ठीक नहीं होता है तो इससे स्थिति दीर्घकालिक हो सकती है | इसलिए फिशर का सही समय पर इलाज करवाना बेहद ज़रूरी होता है |          

अब अगर बात करें फिस्टुला की तो यह गुदा से जुड़ा एक रोग होता है | फिस्टुला एक ट्यूब जैसा मार्ग होता है, जो गुदा नलिका और गूदे की त्वचा के बीच उत्पन्न होता है | यह मलाशय, सर्जरी, फोड़े या फिर आंत्र के जटिलताओं के कारण उत्पन्न हो सकता है | इसके अलावा फिस्टुला का संबंध अधिक वजन, लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहना से होता है | इसमें दर्द, सूजन और मवाद भी निकल सकते है | आइये जानते है फिशर और फिस्टुला में क्या है अंतर :-  

 

फिशर और फिस्टुला में क्या है अंतर ?     

 

  • फिशर गूदे की परत में एक छोटा सा कट या फिर दरार होता है, वहीं फिस्टुला गुदे  की नलिका और उसके आस-पास मौजूद त्वचा के बीच बना एक सामान्य मार्ग होता है |   

 

  • फिशर दस्त या फिर मल त्यागने के दौरान पड़ने वाले अधिक दबाव के कारण उत्पन्न होता है, वहीं फिस्टुला, क्रोहीन रोग, मोटापा या फिर लंबे समय तक एक स्थान पर बैठने से उत्पन्न होता है | 

 

  • फिशर में मल के साथ-साथ खून भी निकल सकता है, जबकि फिस्टुला में मवाद के साथ खून निकलता है | 

 

  • फिशर कुछ ही दिनों या फिर हफ़्तों में ठीक हो जाता है, लेकिन फिस्टुला का इलाज अगर सही समय पर न करवाया गया तो यह पीड़ित व्यक्ति के लिए हानिकारक साबित हो सकता है | 

 

फिशर और फिस्टुला के मुख्य लक्षण  

 

फिशर के मुख्य लक्षण फिस्टुला के मुख्य लक्षण 
  • मल तिगने के दौरान तीव्र दर्द का अनुभव होना 
  • खुनी मल के साथ-साथ जुड़े या फिर उसके आसपास मौजूद त्वचा पर खुजली या फिर जलन होना 
  • फिशर होने से रक्तस्त्राव भी बढ़ सकता है | 
  • गूदे के आसपास पानी का दिखाई देना 
  • जुड़े के आसपास वाली त्वचा पर सूजन का उभरना 
  • गूदे क्र आसपास तीव्र दर्द का अनुभव और सूजन होना | 
  • गूदे मैं बार-बार फीड का उत्पन्न होना 
  • मल तिगने के दौरान दर्द होना 
  • गुदा के आसपास खून वाली पस का निकलना 
  • गुदा के आसपास वाली त्वचा में जलन होना 
  • बुखार होना, ठंड लगना 
  • अधिक थकान महसूस होना 

 

फिशर और फिस्टुला के मुख्य कारण 

 

फिशर के मुख्य कारण  फिस्टुला के मुख्य कारण  
  • कब्ज के दौरान तनाव का उत्पन्न होना 
  • यौनि प्रसाव होना 
  • बार-बार और तीव्र दस्त होना 
  • कम फाइबर वाले आहार के सेवन से 
  • जुड़े में सूजन संबंधी स्थिति का उत्पन्न होना
  • मामूली सी चोट आदि | 
  • गुदे में लगी दर्दनाक चोट 
  • गुदे से जुड़ी शल्य चिकित्सा 
  • क्रोहन रोग का होना 
  • टीबी या फिर एड्स की समस्या 
  • गुदे के आस-पास क्षेत्र में सर्जरी 
  • धूम्रपान और शराब के सेवन से आदि | 

 

कैसे किया जाता है आयुर्वेद में फिशर और फिस्टुला का इलाज ? 

आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर गौहर वात्स्यायन ने बताया कि फिशर और फिस्टुला दोनों ही गुदे से जुड़ा रोग है जो पीड़ित व्यक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है, लेकिन आपको बता दें दोनों के उपचार करने के तरीके भी बिकुल विभिन्न होते है | जहाँ फिशर का इलाज घरेलू उपाय या फिर कुछ नुस्खों और दवाएं के माध्यम से किया जाता है, वही फिस्टुला के उपचार के लिए क्षार सूत्र सर्जरी को करवाने की आवशयकता पड़ सकती है | 

 

कौन-सी रोग के लिए कौन-से उपचार का चुनाव करना है, यह रोग की परिस्थिति पर निर्भर करता है, जो आपको केवल विशेषज्ञ ही बता सकता है | यदि आप में से कोई भी व्यक्ति फिशर या फिर फिस्टुला से पीड़त है और एलॉपथी या फिर अनेकों नुस्खे को अपनाने के बाद भी आपकी स्थिति पर किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है तो इसमें आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर कर सकता है | 

आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर अपने मरीज़ों का इलाज प्राकृतिक उपचार के माध्यम से करता है, जिसके बाद मरीज़ अपनी परेशानियों से छुटकारा भी पा लेता है और उसे किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव को झेलना नहीं पड़ता | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर गौहर वात्स्यायन पंजाब के बेहतरीन आयुर्वेदिक उपचार स्पेशलिस्ट में से है, जो पिछले 13 वर्षों से पीड़ित मरीज़ों के आयुर्वेदिक उपचार के ज़रिये इलाज कर रहे है | 

 

इसलिए परामर्श के लिए आज ही आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और आपकी नियुक्ति की बुकिंग करवाएं | यदि आप चाहे तो वेबसाइट में मौजूद नंबरों से भी संपर्क कर सकते है |           

 

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पेशाब से होने वाले जलन के लिए अपनाएं ये पांच घरेलू नुस्खे, जिससे मिले तुरंत राहत

  • September 26, 2024

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कई लोगों को पेशाब करने के दौरान जलन और दर्द की परेशानी से गुज़ारना पड़ जाता है | जिसके कई कारण हो सकते है, जिनमें से एक यूरिन इन्फेक्शन | यदि आपको भीं यूरिन इन्फेक्शन की बीमारी है तो इससे पेशाब करने के दौरान जलन होना सामान्य है | इस स्थिति के इलाज के लिए कई तरह के दवाओं का सेवन किया जाता है, लेकिन आपको बता दें कुछ घरेलु नुस्खें होती है जिसके उपयोग से पेशाब से होने वाली जलन को कम किया जा कसता है | आइये जानते है ऐसे ही पांच घरेलु नुस्खों के बारे में :- 

पेशाब में जलन को कम करने में तुलसी है सक्षम   

 

आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर वात्सयायन ने यह बताया की पेशाब में होने वाली जलन की समस्या को कम करने के लिए आप तुलसी की पत्तियों का उपयोग कर सकते है | इन पतियों में कई तरह से वायरस, फंगस और बैक्टीरिया से लड़ने की क्षमता होती है | आयुर्वेद में तुसली के पत्ते को कई तरह के बिमारियों के इलाज के लिए औषधि के रूप में  उपयोग किया जाता है, जिसमें यूरिन इन्फेक्शन की परेशानी को ही दूर किया जाता है | पेशाब से होने वाली जलन को कम करने के लिए 6 से 7 तुलसी के पत्ते को पीसकर, इसमें शहद मिलक खाएं |  

 

जीरा करें पेशाब से होने वाली जलन को शांत             

 

जीरा सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते है, जो कई तरह के बैक्टीरियल स्थितियों से लड़ने में मदद करता है | पेशाब से होने वाली जलन को कम करने के लिए जीरा काफी कारगर सिद्ध है | एक अध्ययन से यह पता चला है की जीरा का एसेंशियल आयल यूरिन इन्फेक्शन से लड़ने के लिए सबसे प्रभावी माना जाता है | इसके लिए आप जीरे के साथ गर्म पानी का सेवन कर सकते है | ये बार-बार पेशाब में होने वाली कम कर सकता है, साथ ही यह पेशाब से होने वाली जलन को कम करने में भी सक्षम होता है |  

 

आंवला करें पेशाब से होने वाली जलन को दूर 

 

आंवला विटामिन सी जैसे पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते है, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है | इसके उपयोग से बार-बार पेशाब में होने वाली समस्या को कम किया जा सकता है | यह यूरिन प्रवाह को उत्तेजित करता है, जिससे यूरिन इन्फेक्शन को कम करने में मदद मिल सकती है और साथ ही पेशाब से होने वाली जलन को कम किया जा सकता है | 

 

वजन को घटाएं        

 

नियमित रूप से अधिक वजन होने के कारण मूत्राशय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे बार-बार पेशाब करने में परेशानी हो सकती है | ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है की बढ़ते वजन को कम करें | यदि आप चाहते है की आपका वजह कम हो जाएं तो इसके लिए आप अपने जीवनशैली में रोज़ाना एक्सरसाइज और हेअल्थी डाइट को शामिल करें | 

 

कीगल एक्सरसाइज    

 

यूरिन इन्फेक्शन को कम करने के लिए आप कीगल एक्सरसाइज को अपना सकते है | यह पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मज़बूती प्रदान करता है | इस एक्सरसाइज की करने के अपने योनि को इस तरह से मोड़े, जैसे आप पेशाब रोकने की कोशिश कर रहे हो | दिन में तीन से चार बाद इस मुद्रा को करने से यूरिन इन्फेक्शन की समस्याओं को कम करने में मदद मिल सकती है | 

यदि यह सब करने के आपकी स्थिति में किसी भी प्रकार का सुधार नहीं आ रहा है तो इसके लिए आप आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर गौहर वात्स्यायन आयुर्वेद जड़ी-बूटियों में स्पेशलिस्ट है, जो इस समस्या को प्राकृतिक उपचार के उपयोग से कम करने में मदद कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर नामक वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |