रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए आयुर्वेदिक है महत्वपूर्ण, एक्सपर्ट्स से क्या है उनकी राय

Ayurveda

रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए आयुर्वेदिक है महत्वपूर्ण, एक्सपर्ट्स से क्या है उनकी राय

  • June 25, 2024

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भारत में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद में निवारक और उपचारात्मक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए बहुत बड़ी क्षमता होती है | कोविड की महामारी के बाद आयुष के लिए पुनर्जागरण के युग की शुरुआत की है और रोग से संक्रमित न हो पाए लिए भी रोग प्रिरोधक की क्षमता को बढ़ाने के लिए सबसे बड़ी रणनीति के रूप में पेश किया गया है | आयुर्वेद ने अनादि काल से ही शरीर की प्रतिक्रिया पर अधिक ज़ोर देने के कार्य किया है क्योंकि शरीर में रोग तभी होता है जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है | 

 

आयुष आयुर्वेदा & पंचकर्म सेंटर ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो के माध्यम से यह बताया कि आयुर्वेद व्यक्ति के स्वास्थ्य शरीर की अवधारणा की तुलना एक बंजर भूमि से करता है, जिस तरह से किसिस बंजर ज़मीन पर फाल या फिर फूल नहीं उग सकते, उसी प्रकार से स्वस्थ शरीर संक्रामक परिस्तिथियों के अनुरूप नहीं हो सकता | जैसे फूल का आना सही समय उगना भूमि, बीज की अच्छी गुणवन्ता पर निर्भर करती है, उसी प्रकार शरीर भी रोग से संक्रमण से संक्रमित तभी होता है जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाए, संक्रामक का एजेंट मजबूत हो और समय कम हो तो इसके लिए आयुर्वेद में आहार और व्यवहार के संबंध में अलग-अलग नियमो और विक्षनरी का वर्णन किया गया है, ताकि शरीर की होमियोस्टेसिस में बिना किसी बदलाव के ऋतुओं के संक्रमण प्रभाव को आसानी से ग्रहण कर सके | 

 

नाक के अंदर औषधि की बूंद डालना या फिर मुंह से गरारे करना कुछ ऐसे ही दैनिक नियम होते है जिसका जिक्र शास्त्रीय ग्रंथों में किया गया है, जो दिखने में बहुत ही आसान है लेकिन मुँह और नाक की स्वच्छता बनाये रखने के लिए बहुत असरदार भी है | दरअसल बात यह है की आयुर्वेद हमेशा से रोग को पैदा करने वाले कर्म-करण की सीधे तौर पर बेअसर करने के बजाय इसके प्रति शरीर की समूचा में प्राकृतिक तरीके से प्रतिरोधक बढ़ाने में अधिक ज़ोर देता है | आयुयवेद का दैनिक आहार और मौसमी आहार का पालन करने से शरीर के रोग प्रतिरक्षा पर ज़ोर दिया जा सकता है | उल्लेखनीय आयुर्वेदिक चिकित्सीय एजेंटो और प्रदाताओं का चयन कुछ अनुवांशिक विशेषताओं के ऊपर आधारित होता है, जिन्हे दोष प्राकृति रूप से भी जाना  जाता है | 

यदि इससे जुड़ी कोई भी जानकारी लेना चाहते है तो आप आयुष आयुर्वेदा & पंचकर्म सेंटर नामक वेबसाइट पर विजिट कर सकते है या फिर यहाँ से परामर्श भी कर सकते है | यहाँ के सभी डॉक्टर्स आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में एक्सपर्ट्स है, जो आपको इस बारे में पूरी जानकारी दे सकते है |