क्षार सूत्र सर्जरी और लेज़र सर्जरी में कौन-सी सर्जरी है बवासीर के इलाज के लिए सबसे बेहतर ?

Piles treatment

क्षार सूत्र सर्जरी और लेज़र सर्जरी में कौन-सी सर्जरी है बवासीर के इलाज के लिए सबसे बेहतर ?

  • October 5, 2024

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आज के समय में ख़राब लाइफस्टाइल होने के कारण लोगों कई प्रकार की समस्याओं से गुजरना पड़ जाता है, जिनमें से एक है बवासीर की समस्या | बवासीर के इलाज के लिए अक्सर लोगों इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ जाता है, जिसकी वजह से उन्हें कहीं से भी उचित उपचार प्राप्त नहीं हो पाता है | कई बार कुछ लोग बवासीर के इलाज में लापरवाही दिखाने लग जाते है और लक्षणों को नज़र-अंदाज़ कर देते है, जब उनकी स्थिति काफी गंभीर हो जाती है, तब वह डॉक्टर के पास अपना इलाज करवाने के लिए जाते है | 

 

आपको बता दें एलॉपथी के अलावा आयुर्वेद में भी बवासीर का स्थायी रूप से इलाज किया जाता है | आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर गौहर वात्सायन ने बताया कि पहले के समय जब विज्ञान ने इतनी तरक्की नहीं की थी, तब आयुर्वेदिक वैद्य क्षार सूत्र सर्जरी के माध्यम से बवासीर का इलाज किया करते थे, जो विधि आज तक चलती आ रही है | क्षार सूत्र सर्जरी को विस्तार पूर्वक से जानने से पहले आइये जानते है बवासीर क्या होता है :- 

बवासीर क्या है ?  

 

बवासीर को पाइल्स भी कहा जाता है | यह एक ऐसी स्थिति होती है, जिससे पीड़ित मरीज़ों को कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ना जाता है | बवासीर शरीर के गूदे के अंदर, बाहरी भाग में और मलाशय के निचले हिस्से में बना एक सूजन होता है, जिसकी वजह से उस स्थान पर मस्से बनने लग जाते है | यह मस्से कभी अंदर की तरफ चले जाते है और कभी बाहर की तरफ आ जाते है | दुनियाभर में 60 प्रतिशत लोगों को किसी न किसी उम्र में बवासीर की समस्या ज़रूर होता है | बवासीर होने के कई कारण हो सकते है जैसे की पुरानी कब्ज, डायरिया, प्रेगनेंसी, बढ़ती उम्र, भारी सामान का उठाना, अनुवांशिक, मसालेदार भोजन का सेवन करना और खराब लाइफस्टाइल आदि | बवासीर का इलाज कई तरीकों से किया जाता है, लेकिन आपको बता दें की आयुर्वेद में क्षार सूत्र सर्जरी एक एकलौती ऐसी विधि है, जिसमें बिना संघर्ष किये आप बवासीर से मुक्ति पा सकता है | आइये जानते है  क्षार सूत्र सर्जरी क्या है :-   

 

क्षार सूत्र सर्जरी क्या है ? 

 

क्षार सूत्र सर्जरी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बना एक प्रकार का धागा होता है, जिससे बवासीर और भंगदर जैसी गूदे की बीमारी को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता है | शरीर में ऐसे बहुत से अंग मौजूद है, जिसका कुछ साल पहले सर्जरी के माध्यम से इलाज कर पाना मुश्किल हो जाता था, लेकिन एनेस्थीसिया की खोज की वजह से अब शरीर के किसी भी अंग का आसानी से सर्जरी किया जा सकता है |   

 

आयुर्वेद में बवासीर के इलाज के लिए सर्जरी में प्रयोग होने वाले उपकरणों की ज़रुरत नहीं पड़ती, बल्कि केवल एक धागे के जरिये क्षार सूत्र सर्जरी की प्रक्रिया को किया जाता है | धागे एक ओर खासियत यह भी है की बिना किसी उपकरण के यह शरीर के किसी भी अंग को काटने और हटाने की क्षमता रखता है | 

 

क्षार सूत्र सर्जरी आयुर्वेदिक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से गंभीर हुए बवासीर की स्थिति का स्थायी रूप से इलाज किया जाता है | इस सर्जरी को करवाने के लिए मरीज़ को अपने कामों से ज़्यादा समय के लिए छुट्टी लेने की ज़रुरत नहीं पड़ती, क्योंकि इस सर्जरी के दौरान न ही शरीर के किसी अंग को काटने-सीलने के ज़रुरत होती है और न ही खून निकलता है | 

 

क्षार सूत्र कैसे तैयार किया जाता है ? 

 

क्षार सूत्र को तैयार करने के लिए कुछ सामन की ज़रुरत पड़ती है, जैसे की पक्का धागा, धागा बांधने के लिए एक फ्रेम, कुछ औषधियां और स्पेशलिस्ट वैद्य | क्षार सूत्र को निर्मित करने के लिए कुछ आयुर्वेदक औषधि की ज़रुरत पड़ती है, इसके बाद ही क्षार सूत्र को तैयार किया जाता है, जिनमें शामिल है :- 

 

  • स्नुही क्षीर (सेहुंड का दूध) :- एक धागा में स्नुही क्षीर के 11 लेप लगाए जाते है | 
  • अपामार्ग (चिरचिटा) का क्षार :- फिर उसी धागे में चिरचिटा के क्षार का 7 बार लेप लगाया जाता है | 
  • हरिद्रा का चूर्ण (हल्दी) :- इसके बाद इस धागे में हल्दी का 3 बार लिप लगाया जाता है | 

 

इस धागे में कुल 21 लेप लगते है, जिसको तैयार होने में कम से कम एक महीना का समय लगता है | 

लेज़र सर्जरी के मुकाबले क्षार सूत्र सर्जरी क्यों है बेहतर ? 

 

क्षार सूत्र सर्जरी प्राचीन काल से चली आ रही एक विधि है, जिसमें किसी भी प्रकार के आधुनिक सर्जिकल उपकरणों की ज़रुरत नहीं पड़ती | लेकिन लेज़र सर्जरी में सर्जिकल उपकरणों की आवश्यकता पड़ जाती है | अब अगर बात करें की लेज़र सर्जरी के मुकाबले क्षार सूत्र सर्जरी क्यों है बेहतर तो :- 

 

  • क्षार सूत्र सर्जरी एक आयुर्वेदिक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें बड़े घाव बनने का खतरा नहीं होता, वहीं लेज़र सर्जरी में भी घाव होने का खतरा नहीं होता, लेकिन इस सर्जरी लेज़र बीम का उपयोग किया जाता है | 

 

  • क्षार सूत्र सर्जरी में स्थानीय एनेस्थीसिया का प्रयोग किया जाता है, जबकि लेज़र सर्जरी में सामान्य एनेस्थेसिया का प्रयोग किया जाता है | 

 

  • क्षार सूत्र सर्जरी के बाद मरीज़ को रिकवर के लिए केवल 4 से 5 दिनों का समय लगता है, जबकि लेज़र सर्जरी से  मरीज़ को रिकवर होने में 1 से 2 सप्ताह का समय लग जाता है | 

 

  • गूदे को सहारा देने वाली मांसपेशियां क्षार सूत्र सर्जरी से प्रभावित नहीं होती, वहीं लेज़र सर्जरी से भी किसी भी तरह की बड़ी मुसीबत का सामना नहीं करना पड़ता | 

 

  • क्षार सूत्र सर्जरी की लागत लेज़र सर्जरी के मुकाबले काफी कम होता है | 

 

यदि आप भी बवासीर की समस्या से पीड़ित है और एलॉपथी से इलाज करवाने के बाद आपकी स्थिति पर किसी भी तरह का सुधार नहीं आ रहा है तो इसके लिए आप आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर से परामर्श कर सकते है | इस संस्था के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर गौहर वात्सायन आयुर्वेदिक उपचार में स्पेशलिस्ट है, जो क्षार सूत्र सर्जरी के जरिये बवासीर की गंभीर हुई स्थिति का स्थायी रूप से इलाज कर सकते है | इसलिए परामर्श के लिए आज ही आयुष आयुर्वेद एंड पंचकर्म सेंटर की वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |