जानें स्वर्णप्रश्न कैसे बच्चों की इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ावा देती है ?
स्वर्णप्रश्न संस्कार पुरातन व सनातन धर्म से ही हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ है और आज भी बहुत से लोग ऐसे है जो इस संस्कार से जुड़े हुए है, तो बात करते है की इस संस्कार को कैसे किया जाता है इसको करने के फायदे क्या है और ये बच्चों में कौन-सी बीमारियों का खात्मा करते है। इसके अलावा स्वर्णप्रश्न को बनाया कैसे जाता है जैसे प्रश्नो का उत्तर हम आज के लेख में प्रस्तुत करेंगे ;
क्या है स्वर्णप्रश्न संस्कार ?
- सनातन संस्कृति के अनुसार जब बच्चे का जन्म होता है तब उसको सोने की शलाका (सलाई) से उसके जीभ पर शहद चटाने की या जीभ पर ॐ लिखने की एक परँपरा होती है। इस परंपरा का मूल कारण है हमारा सुवर्णप्राशन संस्कार सुवर्णप्राशन का अर्थ सोने को चटाना है। और इस रस्म को ही स्वर्णप्रश्न रस्म के नाम से जाना जाता है।
स्वर्णप्रश्न की रस्म के बारे में अगर आप नहीं जानते की इसको कैसे करना चाहिए तो इसको जानने के लिए आप बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन कर सकते है।
सुवर्णप्राशन कैसे बनाया व बच्चों को दिया जाता है?
- स्वर्णप्राशन, स्वर्ण के साथ-साथ आयुर्वेद के कुछ औषध (ब्रह्माणी, अश्वगंधा, गिलोय, शंखपुष्पी, वचा) गाय का घी और शहद के मिश्रण से बनाया जाता है। यह जन्म के दिन से शुरु कर पूरी बाल्यावस्था या कम से कम छह महिने तक चटाना चाहिये। अगर यह हमसे छूट गया है तो बाल्यावस्था के भीतर यानि 12 साल की आयु तक कभी भी शुरु किया जा सकता है।
इसके अलावा सुवर्ण प्राशन के लिए जो शुद्ध गाय का घी और शहद की जरूरत होती है उसे आप बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक से भी ले सकते है।
सुवर्ण प्राशन को कब देना चाहिए?
- सुवर्णप्राशन प्रतिदिन सुबह जल्दी किया जा सकता है, या एक शुभ दिन जो हर 27 दिनों के बाद आता है पर देना चाहिए। ऐसे दिन पर देने से बच्चों को काफी लाभ मिलता है।
स्वर्णप्राशन किसको देना फायदेमंद माना जाता है ?
- जो बच्चे ऋतु व पानी बदलने पर तुरंत बीमार पडते हैं।
- जिनका वजन नहीं बढता है।
- जिनको बोलना नहीं आता है या जो बोलते समय हकलाते हैं या तुतलाते हैं।
- जिनको भूख नहीं लगती है।
- जो बिस्तर गीला करते है।
- मंद बुद्धि बालक।
- जिनको पढ़ा हुआ याद नहीं रहता है।
ऐसे उपरोक्त समस्या से जो बच्चे शिकार होते है उन्हें स्वर्णप्राशन देना फायदेमंद माना जाता है।
सुवर्णप्राशन के लाभ क्या हैं?
- सुवर्ण प्राशन प्रतिरक्षा शक्ति को बढ़ाता है और सामान्य संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है।
- यह बच्चों में शारीरिक शक्ति का निर्माण करता है और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाता है।
- सुवर्ण प्राशन की नियमित खुराक बच्चे की बुद्धि, समझने की शक्ति, कुशाग्रता, विश्लेषण शक्ति, स्मरण शक्ति को अनोखे तरीके से सुधारती है।
- यह पाचक अग्नि को प्रज्वलित करता है, पाचन में सुधार करता है और पेट से संबंधित शिकायतों को कम करता है।
- सुवर्णप्राशन बच्चे की भूख में भी सुधार करता है।
- यह प्रारंभिक शारीरिक और मानसिक विकास को पोषित करने में मदद करता है।
- यह बच्चों में एक अंतर्निहित मजबूत रक्षा तंत्र विकसित करता है।
निष्कर्ष :
उम्मीद करते है कि आपने जान लिया होगा की स्वर्णप्रश्न को कब, कैसे और किस समय देना चाहिए।