आयुर्वेद में बालों के झड़ने के कौन-से उपाय है कारगर ?

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आयुर्वेद में बालों के झड़ने के कौन-से उपाय है कारगर ?

  • October 11, 2023

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बालों का झड़ना सभी उम्र और लिंग के लोगों के लिए एक आम चिंता का विषय है। भारत में उत्पन्न प्राकृतिक उपचार की एक प्राचीन प्रणाली आयुर्वेद के अनुसार, बालों के झड़ने की समस्या को विभिन्न कारकों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम बालों के झड़ने के कारणों पर आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से चर्चा करेंगे और इस समस्या के संभावित समाधान के बारे में चर्चा करेंगे ;

आयुर्वेद के अनुसार बालों के झड़ने की समस्या के कारण क्या है ?

असंतुलित दोष : 

आयुर्वेद शरीर में तीन मूलभूत ऊर्जा या दोषों की पहचान करता है, वात, पित्त और कफ। इन दोषों में असंतुलन होने पर बाल झड़ने लगते हैं। अतिरिक्त पित्त दोष, विशेष रूप से, बालों की समस्याओं से जुड़ा होता है, जिसमें समय से पहले बालों का सफेद होना और बालों का पतला होना शामिल है।

आहार संबंधी कारक : 

आयुर्वेद के अनुसार, आप जो खाते है, वह आपके बालों के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अत्यधिक मसालेदार, तले हुए और अम्लीय खाद्य पदार्थों का सेवन पित्त दोष को बढ़ा सकता है और बालों के झड़ने में योगदान कर सकता है। दूसरी ओर, एक संतुलित आहार जिसमें ठंडा और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल है, स्वस्थ बालों को बनाए रखने में मदद कर सकता है।

तनाव और चिंता : 

आयुर्वेद में मानसिक स्वास्थ्य का शारीरिक कल्याण से गहरा संबंध है। लगातार तनाव और चिंता शरीर के प्राकृतिक संतुलन को बाधित कर सकती है, जिससे बाल झड़ने लगते है। ध्यान, योग और प्राणायाम (सांस लेने के व्यायाम) जैसी आयुर्वेदिक प्रथाएं तनाव को कम करने और बालों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।

अपर्याप्त बालों की देखभाल करना : 

आयुर्वेद बालों की उचित देखभाल की दिनचर्या के महत्व पर जोर देता है। कठोर रसायन-आधारित बाल उत्पादों का उपयोग करना, अत्यधिक हीट स्टाइलिंग और नियमित तेल मालिश की ना करने से बालों के रोम कमजोर हो सकते है, जिससे वे झड़ने लगते है। नारियल, आंवला और ब्राह्मी जैसे आयुर्वेदिक हर्बल तेल खोपड़ी को पोषण दे सकते हैं और बालों को मजबूत कर सकते है।

पर्यावरणीय कारक : 

पर्यावरणीय प्रदूषकों के संपर्क में आना, तेज़ धूप और प्रदूषित पानी भी बालों के झड़ने में योगदान कर सकते है। 

नींद में कमी का आना : 

खराब नींद का पैटर्न और अपर्याप्त आराम बालों के विकास सहित शरीर की प्राकृतिक उपचार प्रक्रियाओं को बाधित कर सकता है। आयुर्वेद नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए नियमित नींद कार्यक्रम बनाए रखने और विश्राम तकनीकों का अभ्यास करने की सलाह देता है।

आयुर्वेद के अनुसार झड़ते बालों की समस्या का समाधान क्या है ?

दोषों को संतुलित करना : 

अपने दोष के असंतुलन को निर्धारित करने के लिए एक आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें और संतुलन बहाल करने के लिए आहार, जीवनशैली और हर्बल उपचार के लिए व्यक्तिगत सिफारिशें प्राप्त करें।

आहार में बदलाव : 

ऐसा आहार अपनाएँ जिसमें ताज़े फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज जैसे ठंडे और पौष्टिक खाद्य पदार्थ शामिल हों। मसालेदार, तले हुए और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें या सीमित करें जो पित्त दोष को बढ़ा सकते है।

आयुर्वेदिक बालों की देखभाल : 

बालों के रोम को मजबूत करने और स्वस्थ बालों के विकास को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेदिक बाल देखभाल उत्पादों और आंवला, भृंगराज और नीम जैसी जड़ी-बूटियों से भरपूर तेलों का उपयोग करें। नियमित तेल मालिश से सिर में रक्त संचार बेहतर हो सकता है।

तनाव को कम करना : 

मन को शांत करने और तनाव के कारण बालों के झड़ने को कम करने के लिए ध्यान और योग जैसी तनाव कम करने वाली तकनीकों को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

पर्यावरण संरक्षण : 

जब आवश्यक हो तो इसे ढककर और सुरक्षात्मक बाधा प्रदान करने वाले प्राकृतिक बाल देखभाल उत्पादों का उपयोग करके अपने बालों को कठोर पर्यावरणीय कारकों से बचाएं।

पर्याप्त नींद लें : 

लगातार नींद का शेड्यूल बनाए रखकर और शांतिपूर्ण नींद का माहौल बनाकर गुणवत्तापूर्ण नींद को प्राथमिकता दें।

अगर आप झड़ते बालों की समस्या से खुद का बचाव करना चाहते है, तो इसके लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

सुझाव :

अगर आप बालों के झड़ने की समस्या से काफी परेशान है, तो इससे बचाव के लिए आपको दीप आयुर्वेदा हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए।

निष्कर्ष :

अपने दैनिक जीवन में आयुर्वेदिक सिद्धांतों को अपनाकर, आप बालों के झड़ने के मूल कारणों का समाधान कर सकते है और मजबूत, स्वस्थ और चमकदार बालों को बढ़ावा दे सकते है।

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स्किन एलर्जी से बचाव के लिए कौन-से घरेलु या आयुर्वेदिक उपचार है मददगार ?

  • October 6, 2023

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स्किन जोकि हमारे शरीर का बहुत ही अमूल्य गहना है। वहीं हमारी स्किन या त्वचा पानी, प्रोटीन, वसा और खनिजों से बनी होती है। इसलिए स्किन का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। लेकिन बदलते मौसम या किसी खास चीज के निकट आने पर हमारी त्वचा कुछ प्रकार की एलर्जी को महसूस करती है जिसका काफी गलत प्रभाव देखने को मिलता है। तो चलिए जानने की कोशिश करते है की स्किन एलर्जी की समस्या से हम कैसे खुद का बचाव आसानी से कर सकते है, और इस तरह की समस्या है क्या ;

स्किन एलर्जी की समस्या क्या है ?

  • जब त्वचा पर दाने, मुँहांसे और एलर्जी हो जाती है, तो ऐसे में त्वचा की सुंदरता में काफी गिरावट आ जाती है। इसी के साथ-साथ ये एलर्जी हमारे स्वास्थ्य के लिए भी नुक़सानदेह हो जाती है। 
  • हमारी त्वचा पर होने वालें इरिटेशन या किसी भी तरह का संक्रमण जिसके कारण त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते या तनाव उत्पन्न हो उसे स्किन एलर्जी के नाम से जाना जाता है। 
  • स्किन एलर्जी का अर्थ ये होता है कि किसी विशेष चीज़ के प्रति हमारी त्वचा पर काफी गलत प्रभाव नज़र आने लगता है। और इस गलत प्रभाव के कारण हमारी त्वचा का हाल बदतर हो जाता है।

स्किन एलर्जी की समस्या के बारे में विस्तार से जानने के लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

स्किन एलर्जी के कारण क्या है ? 

स्किन एलर्जी के कारणों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे ;

  • मनोवैज्ञानिक कारण।
  • आहार संबंधी कारण।
  • बाहरी कारण। 

तो बात करें मनोवैज्ञानिक कारण की तो इसमें ;  

  • तनाव या चिंता में रहना। 
  • छोटी से बात पर गुस्सा आना।
  • नींद में कमी का मेहसूस होना।
  • बहुत ज़्यादा सोचना।

आहार संबंधी कारणों की बात करें तो इसमें ;

  • मसालेदार, तला हुआ, वसायुक्त भोजन जैसे पनीर, तले हुए आलू, का अधिक सेवन असंतुलन पित्त और अग्नि संबंधी समस्या को उत्पन्न कर सकते है।
  • खट्टे, नमकीन भोजन जैसे सॉस, सिरका का अधिक सेवन करना।
  • नमकीन भोजन का अधिक सेवन करना।
  • विरुद्धाहार का सेवन रोजाना करना।
  • दही के साथ मछली का सेवन करना।
  • दूध के साथ खट्टे फल जैसे मिल्क शेक का सेवन।

वहीं बाहरी कारणों की बात करें ;

  • तो इसमें व्यक्ति की स्किन प्रदूषित रासायनिक गैसों के संपर्क में आने की वजह से ख़राब हो जाती है।  
  • मजबूत रासायनिक सौंदर्य प्रसाधन (ब्यूटी प्रोडट्स) का ज्यादा उपयोग करना।
  • कीट के काटने की वजह से भी ये समस्या हो सकती है। 
  • पौधे, मौसम जैसे बाहरी कारकों के संपर्क में आने की वजह से भी ये समस्या हो सकती है।

स्किन एलर्जी के दौरान किस तरह के लक्षण नज़र आते है ! 

  • शरीर के किसी हिस्से में रैश की समस्या का होना। 
  • खुजली की समस्या का सामना करना। 
  • स्किन के किसी भी हिस्से में लाली का आना। 
  • स्किन सूजन की समस्या का सामना करना।  
  • त्वचा पर उभार का आना। 
  • त्वचा का परतदार या पपड़ीदार होना। 
  • त्वचा का फटना आदि। 
  • इसके लक्षण गंभीर न हो इससे पहले ही आपको स्किन एलर्जी का इलाज अनुभवी डॉक्टरों से जरूर करवा लेना चाहिए।

स्किन एलर्जी के इलाज के लिए कौन-से आयुर्वेदिक उपचार है मददगार ?

  • स्किन एलर्जी से बचाव के लिए आपको “स्वस्थ आहार” का सेवन करना चाहिए। और इन आहारों की बात करें तो इसमें पोषक तत्वों से भरपूर भोजन का सेवन करना विशेष रूप से ताजे फल और पत्तेदार सब्जियां का।
  • मीठे पदार्थ, नमकीन स्नैक्स से जितना हो सकें परहेज करें। 
  • तला हुआ और वसायुक्त भोजन करने से बचें।
  • खट्टे फलों के साथ दूध जैसे भोजन का दैनिक सेवन न करना।
  • “जीवन शैली” का अच्छे से ध्यान रख कर भी आप स्किन संबंधित समस्याओं से आसानी से निजात पा सकते है।
  • त्वचा पंचकर्म के माध्यम से शरीर में विषाक्त पदार्थों के संचय से दूरी बनाकर रखना।
  • एंटीहिस्टामिन दवाएं भी स्किन एलर्जी का खात्मा कर देती है। 
  • एंटीबायोटिक्स की समस्या का सामना करना। 
  • ओटमील बाथ से नहाना ताकि त्वचा मुलायम हो सकें। 
  • प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी वाले खाद्य पदार्थ का सेवन भी आपके स्किन एलर्जी की समस्या का जड़ से खात्मा करती है।

त्वचा एलर्ज़ी से बचाव के लिए कौन-सी आयुर्वेदिक जड़ीबूटियां सहायक मानी जाती है ?

  • नीम की पत्तियां जोकि एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन-ई और ट्राइग्लिसराइड्स से भरपूर होती है, और जो हमारे शरीर में एंटी-एजिंग का काम करती है।
  • झुर्रियां, काले धब्बे पर भी नीम की पत्तियां काम करती है और इसके अलावा ये त्वचा की चमक को और बढ़ाती है।
  • हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल गुण होते है, क्योंकि इसमें करक्यूमिन होता है। तो यह त्वचा की प्राकृतिक चमक का ख्याल रखता है और एलर्जी की प्रतिक्रिया का भी इलाज करता है।
  • एलोवेरा भी आपको स्किन एलर्जी की समस्या से निजात दिलवाने में आपकी पूरी मदद करते है।
  • इसकी सुखदायक और शीतलन क्रिया के कारण सनबर्न, एक्जिमा, मुँहासे के लिए प्राकृतिक मॉइस्चराइजर के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • अश्वगंधा पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति के लिए त्वचा के सूखेपन को कम करने के लिए आंतरिक और बाहरी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। इसकी मदद से भी त्वचा की एलर्जी संबंधित समस्याओं से व्यक्ति खुद का बचाव बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।

त्वचा एलर्जी से बचाव के लिए कौन-से घरेलु उपाय है मददगार ?

  • नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर, उससे रोज नहाने से त्वचा संबंधी समस्याओं से आसानी से निजात पाया जा सकता है।
  • स्वस्थ त्वचा के लिए उचित जलयोजन भी एक अच्छा उपाय है।
  • तिल के तेल से मालिश करने के बाद भाप लेने से भी आप त्वचा की एलर्जी से खुद का बचाव बहुत ही आसानी से कर सकते है।
  • खुजली और रैशेस के लिए एलोवेरा जेल से मसाज करना।
  • फेस पैक में 2 चम्मच दही, हल्दी, बेसन, शहद प्रत्येक 1 चम्मच लेने से भी आप त्वचा संबंधित समस्याओं से आसानी से निजात पा सकते है।
  • पपीता या केला जैसे फलों का फेस पैक बनाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा की चमक बढ़ती है।
  • कुमकुमादि तैला प्रतिदिन रात की मालिश के लिए विशेष रूप से चेहरे की मालिश के लिए उपयोगी मानी जाती है।
  • शहद संक्रमण के इलाज के लिए एंटी-बैक्टीरियल के रूप में काम करता है और मुंहासों को भी कम करता है।

ध्यान रखें :

स्किन एलर्जी से बचाव के लिए किसी भी तरह की दवाई का सेवन बिना डॉक्टर के परामर्श से न लें। और ध्यान रखें की आपको एलर्जी किन चीजों से है।

स्किन एलर्जी के इलाज के लिए बेस्ट आयुर्वेदिक हॉस्पिटल !

स्किन एलर्जी की समस्या अगर आपकी ज्यादा बढ़ जाए तो इससे बचाव के लिए आपको दीप आयुर्वेदा हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। क्युकी इस हॉस्पिटल में आयुर्वेदिक तरीके से स्किन एलर्जी का इलाज काफी अच्छे से किया जाता है।

निष्कर्ष :

स्किन एलर्जी के दौरान अगर आपके शरीर में इसके लक्षण ज्यादा नज़र आने लगे तो बिना देर किए आपको डॉक्टर का चयन करना चाहिए और ध्यान रहें अगर आप आयुर्वेदिक तरीके से इस समस्या का इलाज करवाना चाहते है तो सबसे पहले ये जान लें, की डॉक्टर का अनुभव कितना है क्युकी अगर आप अनुभवी डॉक्टर से इस समस्या का इलाज करवाते है तो आपको किसी भी तरह की शारीरक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।