त्वचा के प्रकार के आधार पर आयुर्वेद की मदद से कैसे रखें त्वचा का ध्यान ?

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त्वचा के प्रकार के आधार पर आयुर्वेद की मदद से कैसे रखें त्वचा का ध्यान ?

  • October 5, 2023

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हर व्यक्ति की चाहत होती है की उसकी त्वचा सुन्दर और बेहतरीन दिखे और इसके लिए कई दफा व्यक्ति के द्वारा काफी कुछ किया जाता है। पर त्वचा को ठीक रखने के लिए जरूरी है की आपको इस बात का पता होना चाहिए की आपकी त्वचा किन तीन दोषों के साथ जुडी है। इसके अलावा आयुर्वेद कैसे त्वचा की रक्षा करते है इसके बारे में भी कुछ प्रमुख बातों को आपके सामने प्रस्तुत करेंगे ;

आयुर्वेद के अनुसार स्किन के प्रकार और उनके दोष क्या है ?

आयुर्वेद के अनुसार त्वचा को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जिसको वात, पित्त और कफ या कपा के नाम से जाना जाता है, तो चलिए जानते है की इन तीनों का हमारे त्वचा के साथ कैसा संबंध है और इनके असंतुलित होने पर कैसा प्रभाव पड़ता है हमारी त्वचा पर ;  

वात (पवन) दोष :

आयुर्वेद के अनुसार एक वात दोष से पीड़ित व्यक्ति की त्वचा सूखी और खुरदरी होती है, जिसे नियमित रूप से मॉइस्चराइज न करने पर झुर्रियां पड़ जाती है। वात प्रकार की त्वचा में कम फैट जमा होता है और बाहरी और आंतरिक रूप से अधिक मॉइस्चराइजिंग की आवश्यकता होती है। आम भाषा में समझें तो ये ड्राई स्किन का प्रकार है। ऐसे में त्वचा पर तेल आधारित मॉइस्चराइजर का उपयोग करने और अदरक जैसे गर्म मसालों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। ऐसे में आपको अश्वगंधा और शहद जैसी चीजों से बने फेस मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि त्वचा की ड्राईनेस कम हो।

तैलीय त्वचा से बचाव के लिए आपको क्या करना चाहिए, इसके बारे में जानने के लिए बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।

पित्त (अग्नि) दोष :

पित्त को आप आसानी से ऐसे समझें कि ऐसे लोगों कि स्किन ऑयली होती है। यानी कि उच्च पित्त वाले लोग तैलीय त्वचा वाले होते है, जिन्हें पिंपल्स आदि की परेशानी ज्यादा होती है। इस प्रकार की त्वचा में पोर्स किसी भी कारण से अधिक सीबम रिलीज करते है। ऐसी त्वचा वाले लोगों को एलोवेरा, हल्दी, और चंदन जैसी ठंडी चीजों को चेहरे पर इस्तेमाल करना चाहिए।

कपा (पानी और पृथ्वी) दोष :

कपा पित्त वाले लोगों की त्वचा ठंडी और ऑयली होती है। इसमें पिंपल्स, वाइटहेड्स और वाटर रिटेंशन होने का खतरा अधिक रहता है। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी ये होता है कि आप अपनी स्किन को साफ रखें और उसमें गंदगी जमा न होने दें। ऐसी त्वच में ड्राई ब्रशिंग करने की सलाह दी जाती है। साथ ही इसमें तेल आधारित क्रीम से बचने और नियमित रूप से फेस मास्क इस्तेमाल करने को कहा जाता है।

त्वचा की समस्याओं को दूर करने के लिए किन बातों का ध्यान रखें !

शरीर को हाइड्रेटेड (पानी की कमी न होने दें) रखें :

अपने आप को पूरे दिन हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है। इससे न सिर्फ शरीर हेल्दी रहता है बल्कि आपकी त्वचा भी स्वस्थ रहती है। हाईड्रेशन को बनाए रखने के लिए खूब पानी पिएं और बीच-बीच में हर्बल टी भी पिएं। हाइड्रेटेड रखने के लिए ऐसे फलों का चयन करें जिसमे पानी की मात्रा ज्यादा हो। कैमोमाइल, अदरक, या नींबू जैसी जड़ी-बूटियों का उपयोग करके चाय बनाएं और इसे दोपहर में अपने पाचन को स्वस्थ रखने के लिए पिए। इससे जब आपका पाचन तंत्र सही रहेगा, तो आपकी त्वचा भी स्वस्थ और हेल्दी रहेगी। इसके अलावा आप हरी सब्जियां खाएं, जिसमें पानी की मात्रा ज्यादा हो।

आप चीनी और नमक का सेवन कम करें :

नमक और चीनी का ज्यादा सेवन सिर्फ आपके ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को ही नहीं प्रभावित करता, बल्कि ये आपके स्किन को प्रभावित करता है। दरअसल, शुगर और सॉल्ट का ज्यादा इस्तेमाल आपकी त्वचा में कोलेजन और इलास्टिन को नुकसान पहुंचाते है। ये दो यौगिक आपकी त्वचा को लोचदार, टोंड और झुर्रियों से मुक्त रखते हैं। पर जब आपके शरीर में इन दोनों की मात्रा बढ़ जाती है, तो आप उम्र से पहले ही बूढ़ें नजर आने लगते है। इसके अलावा इन दोनों का सेवन एक्ने की परेशानी को भी बढ़ा देता है।

ब्रीदिंग एक्सरसाइज और ध्यान करें :

  • शारीरिक तनाव से ज्यादा, मानसिक तनाव त्वचा की सेहत पर भारी असर डालता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज तनाव को दूर करने और अपने मन को शांत करने का एक शानदार तरीका है। सोने से पहले, एक साधारण सांस लेने का व्यायाम करें। श्वास लें और अपने पेट को हवा से भरें। फिर, इसे उठने दें। अपने फेफड़ों को भरें और फिर विपरीत क्रम में धीरे-धीरे सांस छोड़ें। सोने से पहले या दिन के किसी भी समय 5 से 20 मिनट के लिए इसका पालन करें। यह 20 मिनट की प्रक्रिया आपका स्ट्रेस कम कर देगी और स्किन को अच्छा बना देगी।
  • इसके अलावा ध्यान आपकी त्वचा को सुंदर और चमकदार बना सकता है। दरअसल, ध्यान आपके दिमाग को शांत करने में मदद करता है। और जब आपका दिमाग आराम करता है, तो आपके शरीर में सकारात्मक ऊर्जा बहती है, जो आपकी कोशिकाओं को महत्वपूर्ण ऊर्जा से भर देती है। यह न केवल तनाव को कम करता है बल्कि आपकी त्वचा को फिर से जीवित करता है।

नींद की कमी :

रात में नींद की कमी आपको अगले दिन नींद और थका हुआ महसूस कराती है। यह आपकी त्वचा को भी प्रभावित करती है, जिसके चलते आपकी त्वचा अपनी चमक को खो देती है। नींद न पूरी होने के कारण अंडर-आई बैग्स, सैगी स्किन और डार्क सर्कल जैसी समस्याएं होती है। आयुर्वेद का दावा है कि दिन में 7 से 8 घंटे पर्याप्त नहीं हैं बल्कि व्यक्ति को सही समय पर इतने घंटे सोने की कोशिश करनी चाहिए। इसलिए अपने रात की नींद जरूर पूरी करें।

नारियल तेल और एलोवेरा से चेहरे को मॉइस्चराइज करें : 

  • नारियल तेल प्रकृति में ठंडा है और बहुत भारी नहीं है। ये आपके हर तरह की स्किन के लिए बेहतरीन मॉइस्चराइजर की तरह काम करता है। ये सूखी और चिड़चिड़ी त्वचा को अंदर से शांत करता है और त्वचा में नई एनर्जी लाता है। इसलिए रात को सोने से पहले चेहरे पर हल्का सा नारियल तेल लगा कर सोएं और सुबह उठकर गुनगुने पानी से अपना चेहरा धोएं। 
  • इसके अलावा आप एलोवेरा का भी इस्तेमाल कर सकते है। ये न सिर्फ सनबर्न को सही करता है, बल्कि आपकी त्वचा को भी आराम पहुंचाता है। तो आप बस एलोवेरा लें और इसे अपने चेहरे और गर्दन पर लगा लें। इसे 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर इसे सादे पानी से धो लें। इससे आपको अपनी त्वचा निखरी और कोमल नजर आएगी।

कई लोगों को एलोवेरा या नारियल तेल लगाने से त्वचा पर एलर्जी संबंधित समस्याएं हो जाती है, तो ऐसे में आपको स्किन एलर्जी का इलाज करवाना चाहिए।

ध्यान रखें :

खूबसूरत त्वचा की चाहत में आपको किसी भी तरह के उपाय को बिना डॉक्टर के सलाह पर नहीं अपनाना चाहिए, और त्वचा संबंधित समस्याओं से बचाव के लिए आपको दीप आयुर्वेदा हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

त्वचा को बेहतर बनाने में आयुर्वेद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए आयुर्वेद में त्वचा संबंधित जिन भी बातों को बताया गया है उसको अच्छे से समझे और किसी भी तरह के उपायों को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

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पित्त दोष को संतुलित करने के कौन-से 10 तरीके होंगे मददगार ?

  • September 26, 2023

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पित्त के अर्थ को समझे तो इसका मतलब गर्मी होता है, जो पित्तअग्नि और जल दोनों का तत्‍व है। पित्त गर्म, तैलीय, तरल और बहता हुआ होता है। पित्त हमारे पाचन को नियंत्रित करता है, शरीर के तापमान को बनाए रखता है, त्‍वचा की रंगत, बुद्धि और भावनाओं पर भी पित्त का प्रभाव होता है। पित्त में असंतुलन आने के कारण व्‍यक्‍ति शारीरिक और भावनात्‍मक रूप से अस्‍वस्‍थ होने लगता है। पर पित्त असंतुलित न हो इसके लिए हम ऐसे 10 खाने की चीजों के बारे में आपको बताएंगे, जिसको जान कर आप पित्त दोष संबंधी समस्या से आसानी से निजात पा सकते है ;

पित्त दोष होने के क्या कारण है ?

पित्त दोष होने के कारण की बात करें तो ये समस्या बहुत ज्यादा तीखा, खट्टा, नमकीन, बहुत मसालेदार, तला हुआ, प्रोसेस्ड, रेड मीट खाने, कैफीन, ब्‍लैक टी, निकोटीन, शराब, धूप में ज्‍यादा रहने, भावनात्‍मक तनाव लेने, ज्‍यादा काम करने या आराम करने की वजह से पित्त दोष में असंतुलन आ जाता है। जिसके कारण हमारा शरीर सही से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है।

पित्त दोष होने के कारण शरीर में किस तरह के दोष देखने को मिलते है !

यदि किसी व्‍यक्‍ति के शरीर में पित्त दोष असंतुलित मात्रा में उत्पन्न हो जाए, तो ऐसे में व्यक्ति के सीने में जलन, सनबर्न, एक्जिमा, मुहांसे, एसिड रिफलक्‍स, पेप्टिक अल्‍सर, बुखार, खून के थक्‍के का जमना, स्‍ट्रोक, किडनी में संक्रमण, हाइपरथायराइडिज्‍म, पीलिया, आर्थराइटिस, दस्‍त, क्रोनिक फटीग सिंड्रोम, कम दिखाई देना, ऑटोइम्‍यून विकार और डिप्रेशन की समस्‍या हो सकती है।

अगर पित्त दोष की समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

पित्त दोष को नियंत्रित करने के लिए कौन-से आहार है मददगार ?

  1. पित्त दोष को संतुलित करने के लिए आपको गर्म चीजों से दुरी बनाकर रखना चाहिए, क्युकी पित्त का हिस्सा भी गर्म होता है और ऐसे में अगर आप गर्म चीजों का सेवन करते है तो आपके पित्त दोष की समस्या और बढ़ सकती है, तो पित्त दोष होने पर आपको निम्न खाने की चीजों का सेवन करना चाहिए, जैसे ;
  2. नारियल जोकि पित्त दोष को शांत करता है। आयुर्वेद के मुताबिक नारियल के रस को पचाने के लिए बेहतर माना जाता है। यह शरीर को ठंडक देते है। यह अलग बात है कि ये भारी है और कमजोर पाचन वाले लोगों को इसका सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। कार्बोनेटेड पेय के मुकाबले नारियल पानी ज्यादा सेहतमंद पेय है। इसके अंदर वसा, पोटैशियम और ज़रूरी इलेक्ट्रोलाइट होते है। गर्मियों में जब आपको पसीना बहुत आता है, तो आपका शरीर इलेक्ट्रोलाइट्स को खो देता है, उस समय नारियल पानी के सेवन से आप इलेक्ट्रोलाइट्स को वापस पा सकते है और शरीर को पानी की कमी से बचा सकते है।
  3. तरबूज जोकि चमकदार गुलाबी और खीरे के परिवार से जुड़ा रसीला फल पुरातन समय से उपजाया जा रहा है। और ये पित्त दोष को भी संतुलित करता है। तरबूज खाने से शरीर में ठंडक का अहसास होता है। आप इसका सेवन सीधे काटकर या फिर जूसर में इसका रस निकालकर कर सकते है। यह एंटी ऑक्सीडेंट्स का एक अच्छा स्रोत है, इसमें 90 प्रतिशत पानी होता है, इसके साथ ही इसमें इलेक्ट्रोलाइट्स भी होते है। तरबूज एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है, यह लीवर और किडनी को सेहतमंद रखता है।
  4. आयुर्वेद में खीरे को कभी-कभी ‘सुशीतला’ भी कहा गया है, जिसका मतलब है प्राकृतिक रूप से ठंडा, यह उन मरीजों के लिए फायदेमंद है, जिनको मूत्र संबंधित परेशानियाँ है या फिर जिन्हें ज्य़ादा प्यास लगती है। अपने आहार में खीरे को शामिल करने से आप गर्मियों में ठंडक का अहसास करेंगे। आप अपने लिए खीरे का एक स्वादिष्ट पेय भी तैयार कर सकते है, इसके रस में आप पुदीने की कुछ पत्तियां डाल लें। इस रस में आधा नींबू निचोड़कर चुटकीभर नमक डाल सकते है। एलोवेरा जूस की तासीर भी ठंडी है। खीरा और एलोवेरा दोनों ही पित्त दोष को संतुलित करने वाले माने जाते है।
  5. गर्मियों में अक्सर लोग नींबू पानी पीते है, इसके पीछे एक बड़ी वजह है। यह प्राकृतिक रूप से पसीना लाने वाली औषधि है और यह त्वचा से पसीने को आसानी से खत्म भी करता है, जिससे आपके शरीर को ठंडक मिलती है। आयुर्वेद मानता है कि इसमें पाचन को बेहतर करने के गुण है और मुंह को ताजगी देते है। यह कोलेस्ट्रॉल को कम करके हार्ट अटैक के जोखिम को कम करता है। शरीर से विषैले तत्वों को हटाने की आयुर्वेदिक शोधक प्रक्रिया में नींबू का इस्तेमाल किया जाता है।
  6. मूंग दाल को अंकुरित करके या फिर पकाकर खाया जा सकता है। दोनों के अंदर ठंडक देने वालें अच्छे गुण पाए जाते है और यह पित्त दोष को संतुलित करता है। पीली मूंग दाल पचने में आसान है और इसे रोज़ खाया जा सकता है। अंकुरित मूंग दाल भी गर्मियों में ठंडक देने वाला ऐसा नाश्ता है, जिसमें भरपूर पोषण तत्व पाया जाता है।
  7. छाछ की तासीर ठंडी है, यह पाचन को बेहतर बनाती है, मल त्याग को आसान बनाती है और पित्त दोष को शांत करती है। छाछ को तैयार करने के लिए एक हिस्सा ताजा दही लें, अगर यह गाय के दूध से बना दही हो तो बेहतर रहेगा, अब इसमें तीन हिस्सा पानी मिलाएं। इसको एक मिक्सर में डालें और कुछ देर के लिए चलाएँ। अगर ऊपर मक्खन इकट्ठा हो जाए तो उसे निकाल लें। इसमें भुना हुआ जीरा, एक चुटकी काला नमक या साधारण नमक और थोड़ा सा धनिया पाउडर मिला लें। इसमें थोड़ा सा हरा धनिया या पुदीने का पेस्ट भी आप डाल सकते है। अगर आप छाछ में ये मसाले नहीं मिलाना चाहते तो इसे सादा भी पी सकते है।
  8. अलसी के बीज की तासीर ठंडी होती है और गर्मियों के दिनों में किसी भी वक्त इसका सेवन किया जा सकता है। अलसी के बीज को पानी में कुछ देर के लिए भिगो लें फिर निगलने से पहले अच्छी तरह चबाएँ। अलसी के बीज को चबाने से पहले आप ग्राइंडर में इसे पीस भी सकते है। अलसी के बीज कब्ज़, मोटापे और हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कतों में फ़ायदा पहुँचाते है। महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अलसी के बीज का सेवन नहीं करना चाहिए।
  9. आयुर्वेद के मुताबिक घी की तासीर शरीर और दिमाग के लिए ठंडक देने वाली होती है। सही मात्रा में घी का सेवन पूरे शरीर को पोषण देता है। घी, पित्त दोष को शांत करता है, इसलिए घी का सेवन भोजन से पहले या शुरुआती समय में ही कर लेना चाहिए। यह ध्यान रखें कि घी के सेवन के बाद कुछ भी ठंडा न खाएं न पिएं जैसे-आइसक्रीम या ठंडा पानी। भोजन के दौरान हल्का गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है।
  10. आयुर्वेद में पुदीने का इस्तेमाल साँस की दिक्कतों, मितली, सिरदर्द और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों को दूर करने में किया जाता है। इसका ज्य़ादातर इस्तेमाल गर्मियों के पेय में किया जाता है, क्योंकि इसके अंदर ठंडक देने का प्राकृतिक गुण होता है, जो पित्त दोष को संतुलित करता है। मुँह की परेशानियों में भी पुदीना फ़ायदा पहुँचाता है। अपने ताजा फलों के जूस में पुदीना मिलाएं या फिर इसकी चटनी बनाकर खाएँ। शरीर से विषैले तत्वों को निकालने के लिए आयुर्वेद की शोधक प्रणाली में पुदीने की चाय पीने की सलाह दी जाती है।
  11. पित्त दोष को संतुलित करने में ज्य़ादातर कसैली चीजों को फायदेमंद माना जाता है। वहीं नीम की पत्तियों में ठंडक देने वाले गुण होते है, जो रक्त धातु और खून को साफ़ करते है। नीम की पत्तियां लीवर, पैनिक्रियास की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाती है और रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य करती है।  

अगर इन खाने की चीजों का सेवन करने के बाद भी आपके पित्त दोष की समस्या ठीक न हो, तो इसके लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक क्लिनिक का चयन करना चाहिए।

पित्त दोष दूर करने के उपाय क्या है ?

  • कड़वी, कसैली और मीठी चीजें खाएं। पित्त को शांत करने में घी, मक्‍खन और दूध लाभकारी होते है। खट्टे फलों की बजाय मीठे फलों का सेवन करें। इसमें शहद एक अच्‍छा विकल्‍प है।
  • ज्‍यादा शारीरिक गतिविधियों या अधिक आराम करने से बचें। आपको न तो बहुत ज्‍यादा काम करना है और न ही बहुत ज्‍यादा आराम।
  • संतुलित आहार लें और प्रकृति के साथ कुछ समय बिताएं।
  • पित्त को संतुलित करने का सबसे अच्‍छा तरीका मेडिटेशन या ध्‍यान भी है। इसके अलावा जो भी काम आपको पसंद है वो करें और ज्‍यादा से ज्‍यादा खुश रहने की कोशिश करें।
  • योग की मदद से भी पित्त दोष को संतुलित किया जा सकता है। मार्जरीआसन, शिशु आसन, चंद्र नमस्‍कार, उत्‍कतासन, भुजंगासन, विपरीत शलभासन, पश्चिमोत्तासन, अर्ध नौकासन, अर्ध सर्वांगासन, सेतु बंधासन और शवासन योग करें। 

इन उपायों को अपनाने के बाद भी अगर आपके पित्त दोष की समस्या ज्यादा बढ़ जाए, तो इससे बचाव के लिए आपको दीप आयुर्वेदा हॉस्पिटल का चयन करना चाहिए। 

निष्कर्ष :

पित्त दोष की समस्या से बचाव के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में हम उपरोक्त बता चुके है। वहीं किसी भी तरह के उपाय को अपनाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।