पंचकर्म क्या है और ये किन रोगों के इलाज में है फायदेमंद !
आयुर्वेद पुरातन समय से ही एक उपचार की पद्यति के रूप में लोगों के द्वारा प्रयोग की जाती है। आयुर्वेद में हर तरह की बीमारी का इलाज मौजूद है। वहीं आज के लेख में हम ऐसे आयुर्वेदिक उपचार के बारे में बात करने जा रहें है जो हमारी सेहत प्रणाली के साथ जुड़ा हुआ होता है और जिसका नाम है पंचकर्म, तो जानते है की ये उपचार कैसे लोगों को अच्छी सेहत प्रदान करेगा ;
क्या है पंचकर्म ?
- शरीर में कई ऐसे रोग है जिनका इलाज करने के बाद भी वे बार-बार फिर से शरीर में पनप जाते है। ऐसे रोगों को खत्म करने के लिए शरीर को अंदर से संशोधित करने की ज़रुरत पड़ती है।
- वहीं आयुर्वेद में इन रोगों से बचाव व इनके इलाज के लिए शरीर के मलों व दोषों को बाहर निकालने वाली जो संशोधन की चिकित्सा-प्रक्रिया है, उसे ही पंचकर्म-चिकित्सा कहा जाता है।
- पंचकर्म शब्द से ही इसका अर्थ स्पष्ट है कि ये पाँच प्रकार के विशेष कर्म है, जो शरीर से मलों व दोषों को बाहर निकालते है।
अगर आप भी अपनी बीमारी को फिर से पनपते हुए नहीं देखना चाहते तो इसके लिए आपको बेस्ट आयुर्वेदिक डॉक्टर का चयन करना चाहिए।
पंचकर्म में किन पांच क्रमो के द्वारा व्यक्ति का इलाज किया जाता है !
- पहला क्रम वमन है।
- दूसरा विरेचन है।
- नस्य तीसरा क्रम है।
- अनुवासन वस्ति चौथा क्रम है।
- पांचवा निरूह वस्ति का क्रम है।
पंचकर्म कितने दिन तक चलता है ?
भर्ती मरीज को दवा से लेकर भोजन तक सारी सुविधा अस्पताल या क्लिनिक में मिलती है। पंचकर्म से गठिया, लकवा, उदर संबंधी विकार, मस्तिष्क विकार जैसे साइनस, माइग्रेन का इलाज होता है।
पंचकर्म में किन रोगों का इलाज किया जाता है ?
- खाँसी का इलाज किया जाता है।
- अस्थमा का इलाज।
- जुकाम का इलाज।
- जी मिचलाना की समस्या का इलाज।
- भूख न लगने का इलाज।
- अपच की समस्या का इलाज।
- टाँसिल्स का इलाज।
- एनीमिया का इलाज।
- शरीर के निचले अंगों से रक्तस्राव हो तो उसका इलाज।
- कुष्ठ एवं अन्य चर्मरोग (खुजली, विसर्प आदि) का इलाज।
- गाँठे व गिल्टी का इलाज।
- सूजन की समस्या का इलाज।
- नाक की हड्डी अगर बढ़ गई हो तो उसका इलाज भी पंचकर्म में मौजूद है।
- मूत्र रोग का इलाज।
- अतिनिद्रा का इलाज।
- मिर्गी के दौरे का इलाज।
- पतले दस्त की समस्या का इलाज।
- कान अगर बह रहा हो तो उसका इलाज भी इसमें मौजूद है।
- चर्बी बढ़ना व इससे उत्पन्न रोग का इलाज।
- साइनस तथा नाक, तालु व होंठ अगर पक गया हो तो उसका इलाज भी इसमें मौजूद है।
पंचकर्म को कैसे किया जाता है ?
- पंचकर्म को वमन, विरेचन, नस्य, अनुवासन वस्ति और निरूह वस्ति क्रमो का इस्तेमाल करके किया जाता है और इस प्रक्रिया को अनुभवी आयुवेदिक चिकित्सक द्वारा किया जाता है।
- वहीं वमन चिकित्सा में उल्टी लाने वाली औषधियों का प्रयोग करके आमाशय की शुद्धि की जाती है।
- इसके अलावा जब आँतों में स्थित मल पदार्थ को गुदा द्वार से बाहर निकालने के लिए औषधियों का प्रयोग किया जाता है तो इस क्रिया को विरेचन कहते है। यह एक महत्त्वपूर्ण संशोधन क्रिया है। इसका प्रयोग सामान्यतः सर्दियों के मौसम में किया जाता है लेकिन अगर कोई गंभीर रोग है तो इसे किसी भी सीजन में किया जा सकता है।
- जिन लोगों के शरीर में रूखापन ज्यादा हो और पाचक अग्नि तीव्र हो साथ ही वे वात दोष से जुड़े रोगों से पीड़ित हो। उन लोगों को अनुवासन वस्ति कराना चाहिए।
अगर आप पंचकर्म करवाने के बारे में सोच रहें हो तो इसके लिए आप दीप आयुर्वेदा हॉस्पिटल का चयन कर सकते है।
निष्कर्ष :
शरीर में उत्पन्न हुई किसी भी बीमारी का जड़ से खात्मा करने के लिए आप आयुर्वेदिक उपचार का चयन जरूर से करें।